किसान आन्दोलन 2020 : आखिर क्यों हुआ देश मे इतना बड़ा किसान आन्दोलन , ये है असली वजह

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आंदोलन में जुड़ते जा रहे हैं आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसान इस किसान आंदोलन में दिखाई दे रहे हैं!

आपको बताने की कोशिश करें तो यह सभी किसान मोदी सरकार द्वारा लाई गई किसानों के अध्यादेश के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं मोदी सरकार ने किसानों के लिए 2020 में एक Farmer Bill लाया है जिसमें किसानों के विभिन्न फायदे गिनाए गए हैं!

लेकिन जब से देश में यह Farmer Bill 2020 आया है तब से देश के सभी किसान इस किसान विरोधी अध्यादेश के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन करने लगे हैं!

फार्मर बिल 2020 को इस उदाहरण से समझिए


ये पारले जी का पैकेट है..है कोई माई का लाल जो इसको 5 के बजाए दुकानदार से 3 रूपए में खरीद ले जाए..चाहे रखा रहे चाहे सड़ जाए..चाहे चूहे कुतर जाएं..लेकिन आप इस पारलेजी के पैकेट को 5 रूपए से कम पर नहीं खरीद पाएंगे..इसको कहते हैं MRP यानी मैक्सिमम रिटेल प्राइस..ये है भारत में धन्नासेठों के लिए सुविधा..और इसी देश में किसान का आलू..5 रूपए किलो भी मिलेगा..एक रूपए किलो भी मिलेगा..सरकार किसानों के लिए तय करती है MSP यानी न्यूनतम यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस ( Minimum support price) .. सरकार कहने को मिनिमम सपोर्ट प्राइस किसानों के लिए घोषित करती है लेकिन खुद भी किसानों से फसल नहीं खरीदती..किसाने सरकारी दुकान पर ट्राली में लादकर गेहूं ले जाता है..अधिकारी कहता है बोरी नहीं है..कल आना..अगले दिन जाता है कहता है पल्लेदार नहीं है कल आना..फिर कल जाता है तो अधिकारी कहताहै गोदाम में जगह नहीं है कल आना..किसान फिर कल जाता है..अधिकारी कहता है लोड करने वाला ट्रक नहीं आ पाया है कल आना..मतलब किसान को चग्गा बग्गा पढ़ाया जाता रहता है यानी किसान को टरकाया जाता रहता है..किसान आखिर में थक हारकर अपनी गेहूं से लदी ट्राली प्राइवेट मंडी में बेच देता है..अब देखिए सरकारी दाम था 20 रूपए..किसान ने प्राइवेट लाला बनिया को बेचा 12 रूपए में..और जैसे ही किसान ने बेचा..एमएसपी वाले सरकारी अधिकारी ने लाला से खरीद लिया 13 रूपए में..अधिकारी ने 7 रूपए प्रति किलो पर घपला कर दिया..यानी किसान से ना लेकर लेवी में या सरकारी गोदाम में व्यापारी से लेकर फसल भर ली जाती है..बैठे बिठाए लाखों पीट लिए जाते हैं और किसान बेचारा मुंह ताकता रह जाता है..क्योंकि जिस ट्राली पर वो गेहूं लादकर लाया है वो किराए की हो सकती है..या फिर अपनी भी हो तो भी बार बार लेवी यानी FCI के गोदाम के चक्कर कैसे लगाए..उसको अगली फसल उगानी है..और इस तरह सरकारी MSP से किसानों को लूटा जाता है..अधिकारी मालामाल होते हैं..इस देश में MSP भ्रष्टाचार का वो दलदल है जहां सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार होता है..मैं किसान की बेटी हूं इसलिए आपको बिल्कुल जमीनी चीज बता रही हूं..अच्छा अब किसान और उद्योगपति में अंतर देखिए..पारले जी का प्राइस दुकानदार आपको बताता है 5 रूपए का है लो या ना लो..किसान की फसल का दाम मंडी में खरीदने वाला तय करता है..वो किसान को ऑफर करता है..कहता है 5 का दोगे..50 का दोगे..बस यही कारण है किसानों की दुर्गति का..किसानों की फसलों का रेट तय कर दीजिए कि किसान का गेहूं 20 रूपए किलो बिकेगा..कोई कम पर खरीदेगा या ज्यादा पर बेचेगा तो जेल होगी तो फिर देखिए कैसे किसानों की आमदनी दो गुनी होती है..!

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