एक तरफ कांग्रेस जहां दलित हितैषी होने का दावा करती है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के ही विधायक दलित प्रत्याशी को पंचायत में चुनाव लड़ने से रोक लेते हैं और उसके साथ मारपीट करते हैं!
आपको बता दें जब से राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनी है तब से लगातार दलित उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन दलितों की सुनवाई कहीं नहीं हो रही है आपको बता दें बांसवाड़ा के आनंदपुरी के रहने वाले शंभूलाल चरपोटा आनंदपुरी से पंचायत समिति सदस्य वार्ड नंबर 15 से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में फॉर्म भरने वाले थे लेकिन इनका फॉर्म भरना वहां के कांग्रेस के विधायक को नामंजूर था क्योंकि कांग्रेस की विधायक साहब यह कभी नहीं चाहते कि कोई दलित प्रत्याशी भी उनकी टक्कर ले!
शंभू लाल जी ने हमारे साथ बातचीत करते हुए उन्होंने बताया की दिनांक 9 नवंबर 2020 को लगभग 1:30 पर वे वार्ड संख्या 15 से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में फॉर्म भरने के लिए एसडीम कार्यालय में जा रहे थे लेकिन एसडीएम रोड के पास चौराहे पर ही रतनपुरा के सरपंच छगनलाल ने उनको रोक लिया उसके तुरंत बाद ही अनी दो जीत भी आ गई जिसमें प्रेम प्रताप मौजूद था प्रेम प्रताप और छगनलाल दोनों ने मिलकर शंभू लाल जी को गाड़ी में जबरदस्ती बिठा लिया और चाकू निकाल कर बैठ कर और कहा अगर चिल्लाया तो जान से मार देंगे इस वजह से शंभू लाल जी पूरी तरह डर गये और वह नहीं चिल्लाए और सरपंच छगनलाल और प्रेम प्रताप ने उनका फॉर्म फाड़ कर फेंक दिया और उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया!
सवाल ये उठता है क्या कोई गरीब या निम्न वर्गीय व्यक्ति इन विधायकों या इन किसी भी व्यक्ति के साथ जो चुनाव लड़ने की सोचता है तो इन व्यक्तियों का पारा इतना क्यों झड़ जाता है क्यों यह व्यक्ति इन को जान से मारने पर उतारू हो जाते हैं जहां देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक हो गया है लेकिन दलितों के साथ भेदभाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है आखिर इसकी वजह क्या है जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी तब वह लगातार दलितों के हितैषी होने का दावा कर रही थी लेकिन जब से वह सत्ता में आई है दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं और मुख्यमंत्री साहब इन पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं आखिर क्या होगा इस देश में दलितों का?