बहुजन समाज में बनी पार्टियों की बात करें तो हमें गिनते गिनते महीनों लग जाएंगे लेकिन समाज की पार्टी और संगठनों की गिनती हम नहीं कर पाएंगे आज कुछ चुनिंदा पार्टियों की बात करेंगे जो साहब कांशीराम और बाबा साहेब के नाम पर चुनाव लड़ते हैं और खुद को काशीराम और बाबासाहेब की विचारधारा पर चलने वाले बताते हैं इन सब को देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि आज बहुजन समाज कहां खड़ा है
एक ने बना ली #बहुजन_मुक्ति_पार्टी (संस्थापक वि. एल. मातंग )
एक ने बना ली #वंचित_बहुजन_आघाडी

एक ने बना ली #रजि_बामसेफ (संस्थापक वामन वेश्राम )

एक ने बना ली #बहुजन_क्रांति_मोर्चा
एक ने बना ली #आजाद_समाज_पार्टी (संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद )

अर्थात इनमें से अधिकतर पार्टियों के बैनर और पोस्टरों में #साहब_कांशीराम का फोटो होता है
अर्थात यह सब अपने आप को मान्यवर साहब का #फॉलोवर कहते हैं
यहां पर अब एक और बात है
मान्यवर साहब ने #बसपा बनाई और यह सभी पार्टियों मान्यवर साहब को अपना आदर्श मानती है
और यह सभी लोग उसी पार्टी का विरोध करते हैं जिस पार्टी के #संस्थापक का फोटो अपने बैनर में लगाते हैं
अब यह लोग समाज में जाते हैं और कहते हैं
आवाज दो हम एक हैं,
आज टुकड़ों में बिखर कर तुम लोगों की ऐसी हालत हो गई है
तुम लोग अपने मंचों से विरोधी पार्टियों की बात ना करते हुए
तुम लोग अपनों की बुराई करने में लग जाते हो
पहले तुम स्वयं संगठित हो जाओ बाद में दूसरे को संगठित कर देना!
इतनी सब पाटिया बनाने के बाद बहुजन समाज अगर सत्ता पाने की बात करता है तो यह बेईमानी होगी क्योंकि जब बहुजन समाज खुद एकजुट नहीं होगा तो सत्ता की प्राप्ति नहीं होगी इसी बात का फायदा उठाकर अन्य विपक्षी पार्टियां लगातार सत्ता में बनी हुई है क्योंकि बहुजन समाज खुद संगठित नहीं है बहुजन समाज खुद अनेक पार्टियों अनेक संगठनों में बंधा हुआ है जिसका फायदा लगातार विपक्षी पार्टियां उठाती दिख रही है फिर लगाते हैं आवाज दो हम एक हैं!
यह सब देख कर लग रहा है बहुजन समाज कभी सत्ता प्राप्ति की तरफ जा ही नहीं रहा है बहुजन समाज में हर रोज नहीं संगठन नहीं पार्टियां और ना ही नेता बन रहे हैं जो सिर्फ अपनी निजी स्वार्थ के लिए राजनीति कर रहे हैं अगर आप सचमुच समाज को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो एक मंच पर आकर संगठित हो जाए और बहुजन समाज की आवाज को उठाएं अपने कीमती शराब हमें जरूर कमेंट बॉक्स में दे धन्यवाद!