चारो हरामजादों ने सामूहिक दुष्कर्म करने के मासूम के दुपट्टे से उसका गला घोंटने की कोशिश की. मासूम पर इतनी क्रूरता बरती गई कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. आधा शरीर में लकवा मार दिया. ज़ुबान काट दी गई !
यह हिंसा 2012 की निर्भय से कम नही थी. लेकिन ब्राह्मण मीडिया ने निर्भय के मामले की तरह इस जघन्य घटना को नही दिखाया !
लड़की की चीख पुकार सुनकर उसकी माँ पहुंची, तत्काल पीड़िता को शिकायत के लिए नजदीकी चांद-पा पुलिस स्टेशन ले गए. पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया और पीड़िता समेत परिवार को अपमानित कर भगा दिया !
उसी दिन रात को घायल अवस्था में पीड़िता को अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया !
20 सितंबर – घटना के छह दिन बाद भारी विरोध के बाद पुलिस ने शिकायत दर्ज की. और 22 सितंबर को पीड़िता का बयान दर्ज किया !
पीड़िता का परिवार और बहुजन समाज के लोगों ने पीड़िता के बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के AIIMS में भर्ती करने की मांग की. अलीगढ़ अस्पताल के डॉक्टरों ने भी कहा पीड़ित लड़की की हालत गंभीर है और उसे बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के AIIMS में भर्ती किया जाए !
28 सितंबर – योगी आदित्यनाथ सरकार ने बहुत देर करने के बाद पीड़िता को दिल्ली शिफ्ट करने की बात मान ली. अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के डॉक्टर शाहिद अली सिद्दीकी ने AIIMS में भर्ती करने के लिए रेफर कर दिया. लेकिन योगी सरकार ने पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया, जहां ट्रीटमेंट अलीगढ़ के अस्पताल की तरह है !
29 सितंबर 2020 – सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ते हुए पीड़िता ने दम तोड़ दिया !
उसी दिन उसी रात को उत्तर प्रदेश पुलिस ने चोरी छिपे पीड़िता की लाश को जला दिया !
4 ओकटुबर 2020 – भाजपा के पूर्व विधायक राजवीर सिंह ने दोषी बलात्कारी हत्यारे चारों अपराधियों के समर्थन में रैली निकाली, इस रैली में आरएसएस बजरंग दल, करणी सेना और विश्व हिंदू परिषद के लोग भी समर्थन में शामिल हुए !
बेहद जरूरी और बुनियादी सवाल.
1) क्या योगी सरकार पर भरोसा किया जा सकता है ?
2) क्या भाजपा राज में ओबीसी एससी एसटी सुरक्षित हैं ?
3) दंगों के समय नही, जातीय हिंसा के समय हिन्दू कौन हैं, कैसे दिखते हैं ?
4) क्या ब्राह्मणों की हिंदुत्व विचारधारा ब्राह्मण वर्चस्व की वकालत नही करती ?
5) एक मोदी को छोड़कर बीजेपी में कितने मंत्री ओबीसी एससी एसटी हैं.