मोहम्मद गज़नी ने मनुस्मृति लिखा. बादशाह बाबर ने शूद्रों के गले में हंडी और कमर में झाड़ू बांधकर चलने का फरमान सुनाया !
डॉ बाबा साहेब अंबेडकर जब स्कूल पढ़ने गए, शिक्षक अकबर ने उन्हें अपमानित कर कक्षा से बाहर बिठाया. कक्षा के मटके से मुसलमान छात्रों ने बाबा साहेब को पानी पीने नही दिया !
बैलगाड़ी अभी कुछ दूर ही चली थी कि गाड़ीवान बहादुरशाह जफर ने डॉ बाबा साहेब आंबेडकर से पूछ लिया, “तुम किस जाति के हो” बाबा साहेब ने कहा महार, इतना सुनते ही गाड़ीवान बहादुरशाह जफर ने बैलगाड़ी से डॉ आंबेडकर को उतार दिया…. ब्राह्मण इसी प्रकार का झूठा इतिहास लिखना चाहता है !
मुग़लों और ब्रिटिश हुकूमत ने हमारा या ब्राह्मणों का क्या बुरा किया. क्या मुगल दौर सच में इतना बुरा था – क्या अंग्रेज़ शोषणकारी थे. क्षत्रिय राजपूत राजा और ब्राह्मण धर्म गुरु शंकराचार्य उदारवादी थे ?
ब्राह्मणों ने लिखा मुग़ल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्यवाद गुलामी अत्याचार और शोषण का दौर थे ?
इतिहास की जितनी समझ मुझे है उसके बिना पर कह सकता हूँ मुग़ल और ब्रिटीश दौर से कहीं अधिक बुरा दौर क्षत्रियों का शासनकाल था !
मुग़ल और ब्रिटिश ने भारत भूमि पर कभी किसी से भी धर्म जाति लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नही किया. बल्कि ब्राह्मणों और क्षत्रिय राजाओं को अपने दरबार और दफ्तरों में उच्च पद दिया !
भक्ति आंदोलन मुस्लिम शासकों के दौर में परवान चढ़ा. वैष्णव संप्रदाय, वेदांता जैसे कट्टर सनातनी विचारधारा का जन्म मुग़ल काल में हुआ – ब्रिटिश शासन में स्वामीनारायण संप्रदाय ने अपनी जड़ें जमाई !
शोषणकारी मुग़ल या ब्रिटिश नही बल्कि ब्राह्मण क्षत्रिय शासक है. जिन्होंने जाति वर्ण व्यवस्था के नियम पर इंसान को उसके पेशे में कैद कर उसका शोषण किया उन्हें अमानवीय यातना दी !
ब्राह्मण क्षत्रिय अपनी गलती शोषण अमानवीय चेहरा और क्रूर धर्म की कृतियों को छुपाने के लिए मुग़लों और अंग्रेज़ों को खलनायक के रूप में प्रस्तुत करना शुरू किया !
मुग़लों और ब्रिटीश ने कभी किसी व्यक्ति या समूह को पानी पीने के अधिकार से नही रोका. पानी पीने का अधिकार छीनने वाले नीच हैं, और वह नीच ब्राह्मण क्षत्रिय है!